वतन की याद में ..........................
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है !
मेरा भारत मुझे याद आ रहा है !
माँ से लोड़ी सुने बिना , नींद न आती थी रातो में
बाबा से डांट सुने बिना, नींद न जाती थी आँखों से
सुबह-सुबह श्रधालुओं का वह मंगलगान,याद आ रहा है !
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है !
करते थे अठखेलियाँ , यारों के संग मिलकर
चोट लगती थी मुझको ,तो होता था सबको दर्द बराबर
यारों के दिल में मेरे लिए वह सम्मान,याद आ रहा है !
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है !
एक नन्ही सी गुड़िया मुझसे कहती थी ,मै करती हूँ तुमसे ढेर सारा प्यार
मत छोड़ जाना मुझे तन्हा ,रोक न सकूँगी आंसू की धार
कभी न लगा मेरे बिना उसका मन,याद आ रहा है!
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है!
छोटे-छोटे भाई मेरे करते थे खूब सेवा
बड़े-बड़े भाई मेरे देते थे मुझको मेवा
राखी का दिन कभी भूली न मेरी प्यारी बहन, याद आ रहा है!
मेरा वतन मुझे याद रहा है!
होली के दिन गली-गली जाकर ,करते थे हुरदंग
ईद भी था मैंने मनाया ,गले मिल सबके संग
दीप वाले दिन दादी माँ से सुनी थी दास्ताँ-ए-रामायण, याद आ रहा है!
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है!
जब आते थे विजय-पर्व वाले दिन ,थाम लेते थे हर हाथ तिरंगा
चाहे हो पंजाब ,सिंध ,गुजरात ,मराठा ,द्रविड़ ,उत्कल ,बंगा
वतन के वीर सपूतों को मै करता था झुककर नमन, याद आ रहा है!
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है!
छोड़ आया मै ,माँ-बाबा का लाड-दुलार
दादी माँ के किस्से अपार
भाई-बहन और ढेर सारा यार
उस नन्ही गुडिया को भी न भुला ,जो करती थी मुझसे बेहद प्यार
चंद सिक्कों के लिए, मै वतन छोड़ क्यों आया सात-समंदर पार
आज मेरे संग कोई नहीं है
बस है मेरा अकेलापन ,जान मार रहा है!
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है!
आज वतन से एक ख़त आया है, मेरे नाम पर
आज बहुत खुश हूँ मै ,इस ख़त को पढ़कर
माँ संभाले रखी है मेरे लिए ,ममता का चादर
बाबा ने कहा है ,अब न जगायेंगे तुम्हे सुबह-सुबह डांटकर
नन्ही सी गुड़िया भी मेरे लिए ,भुलाए बैठी है सारा संसार
मेरे यार आज भी कर रहे है मेरा इंतज़ार
मेरे भाई मुझसे मिलने के लिए है बेकरार
मेरी बहन मनाएगी हँसकर ,इस बार राखी का त्योहार
पर!
न सुन पाऊँगा दादी माँ से अधूरे किस्से
वह तो चली गयी मुझसे भी बहुत दूर, मुझसे रूठकर
पतझड़ गुम हो गए है न जाने कहाँ ,वतन मे छाई है बहार
मेरे राह मे बिछने को है हर कली तैयार
मेरी मातृभूमि खुशबू बिखराएगी अपनी आँचल लहराकर
नगाड़े भर रहे हुँकार
खेत-खलिहान सब सज गए है ,कोयल कूक रही डाली पर
वह मेरा बड़ा सा आँगन ,छोटा सा घर-बार
है मेरे कदम चूमने को वह तत्पर
मेरा वतन दे रहा है मुझे आवाज़ बार-बार
अब आना तो फिर मत करना ,छोड़ जाने की बात भी भूलकर !
शायद!
फिर गायेंगे सब मिलकर मेरे स्वागत मे जय-गान याद आ रहा है!
मेरा वतन मुझे याद आ रहा है!
मेरा भारत मुझे याद आ रहा है!
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15 comments:
वतन के साथ परिवार को कितने भावपूर्ण ढंग से तुमने पिरोया है
घर के सारे सदस्य देश प्रेम की तरह आँखों में उमड़ पड़े
एक - एक क्षण आँखों में जीवंत हो उठे.......
बहुत-बहुत बढिया लिखा है तुमने.
svadesh aur ghar ausee hee cheejen hain....bahut sundar..
sa-sneh
gita pandit
watann aur ghar aur unke saath judi sari yaaden
aankh nam ho gayi
आपने अस्तित्व की तलाश के कई मायने है, कई बहाने है...एक पहलू ये भी है अपनी माटी से खुद को जोड़े रखना..
बहुत मर्मस्पर्शी भावः है इस रचना में..
एक प्रेरणा देती रचना.......
देश है,परिवार हैऔर तुम्हारे कोमल,दृढ एहसास
हर सदस्य की उत्कृष्ट भावना........
ek taraf vatan mera to duji taraf hai ghar
bahut sundar bhav utare hain apne man se bahut alag dhang se likha hai ghar k dukh ko jo vatan ke liye jate bete k liye hai.....
ghar mai hoti wo saari batain aisa lagta hai jaise mano ye sab batain aap k sath biti hon aap bilkul dhal gaye kavita main
वेद, जी अच्छा लिखते हैं आप जारी रखें...
आपकी कविता प्रभाव शाली है
हाँ एक बात आप कृपया हेडर वाला फोटो फोटो एडीटर से
वेब के अनुकूल कर लीजिए , फोटोशोपी में भी सम्भव
है , क्योंकि आपका ब्लॉग देर से खुलता है
भावः में सरोवर अति सुंदर. जारी रहें.
bahut bhaavpoorna varnan hai.
kuchh yadein rulati hain kyonki ham kahin dil se jude hain.........
shubhkamnayein
sundar kaphi sundar likha aapne
apko bahut bahut dhanywaad ...
काफी संजीदगी से आप अपने ब्लॉग पर विचारों को रखते हैं.यहाँ पर आकर अच्छा लगा. कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें. ''युवा'' ब्लॉग युवाओं से जुड़े मुद्दों पर अभिव्यक्तियों को सार्थक रूप देने के लिए है. यह ब्लॉग सभी के लिए खुला है. यदि आप भी इस ब्लॉग पर अपनी युवा-अभिव्यक्तियों को प्रकाशित करना चाहते हैं, तो amitky86@rediffmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं. आपकी अभिव्यक्तियाँ कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, वैचारिकी, चित्र इत्यादि किसी भी रूप में हो सकती हैं......नव-वर्ष-२००९ की शुभकामनाओं सहित !!!!
सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
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60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!
Bahut acchha likhte hain ved ji.. likhte rahiye.. maine aapki lagbhag sabhi rachnayein padhin..
Good work sir
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