कल ही तो आयी थी
तुम
मेरी जिंदगी में
और
आज जा भी रही हो
आख़िर किस बात की सजा तुम मुझे दिए जा रही हो !
मै नहीं कहूँगा
तुम्हे
कुछ देर और रुको,
कल जो कहना चाहता था
मै
वह आज सुनो,
मेरे गले लगकर न सही,
आराम से मेरे पास बैठकर न सही,
कुछ देर और
रुक कर न सही,
जाते-जाते ही
मेरे दिल की आवाज़ सुनो
मेरा दिल तुमसे कह रहा है
मेरी जिंदगी मे आकर
मेरे अँधेरे मन मे दीप जलाकर
उसकी रौशनी मे 'प्रेम की भाषा' सिखायी
और
आज
बोलने लगा
तो
तुम
बिना सुने ही जा रही हो
किसे सुनाऊँगा तुम्हारी सिखायी हुई
'प्रेम की भाषा'
किसे समझ मे आती है यहाँ
'प्रेम की भाषा'
कोई सुने या न सुने
कोई समझे या न समझे
सिर्फ
तुम्हारे लिए
मै बोलूँगा
'प्रेम की भाषा'
तुम जा रही हो , जाओ
क्यों ?
मै नहीं पूछूँगा
पर
तुम्हारे बिना
मै कैसे जी पाऊँगा
मै कैसे जी पाऊँगा..............................
Monday, September 8, 2008
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7 comments:
जाते-जाते ही
मेरे दिल की आवाज़ सुनो.........
जब सब हाथ से छूटता प्रतीत होता है तो ऐसे भाव ही
निकलते हैं, बस कुछ देर के लिए सबकुछ थाम लेने का दिल करता है
क्या पता....शायद कोई हल मिल जाए, बहुत दिल से दिल की बात कही.....
kya hai...kyun gya koi...kuch help kare kya ...bapic le aate hai chalo...shabd yaise chune hai use aana hi hoga jo gya hai.....
par .........kya kahun jo gya woh hamara tha hi anhi phir kise lau ek ajnabi ko...???? hmmmmmmmmmm
ajnabi se duri hi achi hai..
bahut se khyalo se ghiri ahsas bhari rachna...ya akhun sirf aur sirf dil ki baate likhi hai rachna ka to bas roop hai.
bahut khub
वेद प्रकाश जी बहुत ही सुन्दर रचना है पहले तो बधाई आपको
आशा है ये प्रेम की भाषा जिसके लिए पिरोयी है उस तक पहुंचे।
रुक कर न सही,
जाते-जाते ही
मेरे दिल की आवाज़ सुनो
मेरा दिल तुमसे कह रहा है
मेरी जिंदगी मे आकर
मेरे अँधेरे मन मे दीप जलाकर
उसकी रौशनी मे 'प्रेम की भाषा' सिखायी
और
आज
बोलने लगा
तो
तुम
बिना सुने ही जा रही हो
आह !
क्यूं होता है ऐसा,
मन बहुत रोता,
काश !
तुम आये ही ना होते,
मैं चैन से सोता,
KYA LIKHA HAI YE HUI NA BAAT BHAI WALI KASH YE PREM WALI BHASHA SABKI JUBAAN PAR HOTI....
Roomani virah !!!!!!
Kya Bat Hai !!!!
Roomani virah !!!!!!
Kya Bat Hai !!!!
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